बिहार में शराबबंदी है और नशा करने करने वाले नशेड़ी


बिहार में शराबबंदी है और नशा करने करने वाले नशेड़ी शराब नहीं मिलने के कारण नशा के लिए दूसरे अन्य विकल्प का उपयोग कर रहे हैं। लगातार सीमाई इलाकों में अब नशेड़ी, कप सिरप, स्मैक, ब्राउन शुगर

इंजेक्शन अल्पराज़ॉलम टेबलेट सहित दूसरे अन्य विकल्प का इस्तेमाल करने लगे हैं।

नशे के आगोश में छोटे-छोटे बच्चे-बच्चे भी शामिल हो रहे हैं और नशे के लिए सनफिक्स,बोन फिक्स जैसे एडहेसिव सॉल्यूशन का इस्तेमाल करते हैं।ये नशा  सबसे ज्यादा ही ख़तरनाक होता हैं, इस नशे मै बच्चे कोई भी आपराधिक घटना को अंजाम देने से नहीं पीछे नहीं हटता! 

सनफिक्स के नशे के लिए ये छोटे-छोटे बच्चे चोरी तक के घटना को अंजाम देने से नहीं चूकते।


बोनफिक्स या सनफिक्स में रसायनिक तत्व होता है. बच्चे नशे के लिए जोर से सुघंते है. इससे रसायनिक तत्व सीधे फेफड़े में जाती है. लगातार सेवन से वही रसायनिक तत्व पानी में तब्दील हो जाता है.


 शहर में शराब, गांजा के साथ अन्य नशा की प्रवृत्ति, खासकर युवाओं में तेजी से बढ़ रही है। कुछ युवा बोनफिक्स का नशे के लिए उपयोग करते हैं। इसकी शिकायत के बाद भी यहां धड़ल्ले से दुकानों में युवाओं से बिना पूछताछ के इसे बेचा जा रही है। डाक्टरों का मानना है कि नशा स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है तथा इससे युवाओं में आपराधिक प्रवृत्ति भी बढ़ रही है।

इलाके में अब नशा का सेवन सिर्फ गुटखा व धूम्रपान तक सीमित नहीं रहा बल्कि शराब, गांजा के अलावा युवाओं का एक बड़ा वर्ग बोनफिक्स का सेवन भी इसके लिए कर रहा है। खासकर स्कूली बच्चे समूह में बोनफिक्स से नशा करते हैं। किराना दुकानों व जनरल स्टोर्स में बोनफिक्स आसानी से मिल रहा है। एमजी वार्ड में नदी तट युवा वर्ग जहां गांजा का सेवन करते नजर आ जाते हैं वहीं वहीं 10 से 15 वर्ष के बच्चे बोनफिक्स का सेवन करते नजर आते हैं। पता चला है कि बोनफिक्स को झिल्ली में डालकर रगड़ते हैं। इसके बाद झिल्ली को जोर से सूंघते हैं। 

   बोनफिक्स को झिल्ली में रगड़ने के बाद तेजी से सूंघकर नशा करने के बाद फेंकी गई ट्यूब।

तंत्रिका तंत्र पर असर
बोनफिक्स सीधे तंत्रिका तंत्र पर असर डालता है। उत्तेजना होने पर नशा करने वाला व्यक्ति क्राइम भी करता है। लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने पर व्यक्ति मानसिक रूप से विकलांग और पागल हो सकता है। बोनफिक्स में मौजूद तत्व काफी घातक होते हैं।

प्लेटफार्म पर फटेहाल गंदे कपड़ों में लिपटे ऐसे बच्चे दरअसल मोटरसाइकिल ट्यूब के पंक्चर को दुरुस्त करने में इस्तेमाल होने वाले सूलेशन या बोनफिक्स जैसी गोंद का नशा करते हैं। इससे उन्हें हल्का नशा होते हैं। नशा तो हल्का होता है, लेकिन ऐसे पदार्थ उनके शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

जानकारों का कहना है कि इस तरह के नशीले पदार्थ के इस्तेमाल का तरीका भी कुछ अलग है। पहले वे बाजार से बोनफिक्स या सूलेशन खरीदते हैं। उसके बाद एक छोटे से रूमाल या कपड़े पर इसे निकाल कर रखते हैं और फिर मुंह से लगाकर कुछ देर तक उसे चूसते हैं। 

 बाजार में बिक रहे एडहेसिव्स का बेस आर्गनिक कपाउंड्स है। ये एक तरह से बेहोशी की दवा जैसे कपाउंड्स से मिलते-जुलते हैं। इन्हें संूघने या खाने से नशे जैसी स्थिति होती है। लंबे समय तक इनका प्रयोग बच्चे को मेंटली डल करने के साथ उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। उसके लिवर और किडनी प्रभावित हो सकते हैं, सांस लेने में तकलीफ होने लगती है'। 

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