ज्यादा कफ सिरप पीने से क्या होता है?

ज्यादा कफ सिरप पीने से क्या होता है?
रिसर्च के मुताबिक कफ सिरप का अत्यधिक इस्तेमाल से दिमाग की कोशिकाएं प्रभावित हो सकती है जिससे सोचने की शक्ति प्रभावित हो सकती है. इसके अलावा हार्ट पर इसका बुरा असर पड़ सकता है.
छाती में बलगम या कफ (cough) जमा हो जाने पर हममें से अधिकांश लोग बेनाड्रिल, चेस्ट्रोन, हनीटस, एसकोरिल (Benadryl Cough Syrup, Cheston Cough Syrup, Honitus Cough Syrup, Ascoril Cough Syrup) जैसे कफ सिरप (Cough Syrups) का सेवन करते हैं. आमतौर पर कफ सिरप लेने के बाद हल्की नींद लगती है, लेकिन इसे अगर ज्यादा मात्रा में लिया जाए तो बहुत ज्यादा नींद लगती है. यही सोचकर जिन लोगों को रात में नींद नहीं आती है, उनमें से कुछ रात को कफ सिरप का सेवन करने लगते हैं. लेकिन बिना कफ के कप सिरप लेने के घातक दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं. कफ सिरप में कई ऐसे सब्सटीट्यूट का इस्तेमाल किया जाता है जिनसे ब्रेन को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है.

किस चीज से बनाया जाता है कफ सिरप
शुरुआत में कफ सिरप में अफीम, हीरोइन, क्लोरोफॉर्म और मॉर्फिन जैसे पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता था. बाद में इसे नियंत्रित किया गया और सिंथेसिस पदार्थों का इस्तेमाल किया जाने लगा. आज कफ सिरप में शोध आधारित कई बेहतर सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है जिसे सिंथेसिस कर बनाया जाता है. हालांकि आज भी सर्दी, खांसी, बलगम के लिए ऐसे कफ सिरप बेचे जाते हैं जिनसे संभावित हानिकारक दुष्प्रभाव हो सकते हैं. वर्तमान में जो कफ सिरप हैं उनमें से अधिकांश कफ सिरप में डेक्सट्रोमेथोरफान रसायन (Dextromethorphan -DXM) का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा प्रोमेथाजाइन कोडिने (Promethazine-codeine) और बेंजोनाटेट (Benzonatate) से भी कफ सिरप बनाए जाते हैं. हालांकि इसे संश्लेषित कर कफ सिरप में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि डीएक्सएम और प्रोमेथाजाइन कोडिने ओपियॉड (opioid ) सब्सटांस है. यानी इसमें अफीम का इस्तेमाल होता है.

किस तरह पहुंचाता है नुकसान
अमेरिकन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ड्रग एब्यूज (National Institute on Drug AbuseTrusted Source) के मुताबिक डीएक्सएम से मतिभ्रम वाला प्रभाव पड़ता है. यह सीधे दिमाग के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. मायोक्लिनिक के मुताबिक जब अफीम से निर्मित कोई संश्लेषित पदार्थ खून में पहुंचता है तो यह ब्रेन सेल्स के रिसेप्टर से चिपक जाता है. जिससे दर्द का संकेत रुक जाता है और प्लेजर की भावना आती है. इससे तत्काल तो मन को अच्छा लगता है लेकिन इसकी थोड़ी सी भी ज्यादा खुराक हार्ट को भारी नुकसान पहुंचा सकती है. इससे सांस लेने की गति धीमी हो जाती है. हालांकि तत्कालिक प्लेजर के कारण लोगों को इसकी आदत लग जाती है.

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए
वैसे खांसी हवा से शरीर में गए हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने की एक कुदरती प्रक्रिया है लेकिन कई बार खांसी और बलगम शरीर के लिए बेहद हानिकाक हो जाता है. ऐसी स्थिति में कफ सिरप का सेवन किया जाता है. लेकिन कफ सिरप के कुछ साइड इफेक्ट भी हैं. वेबएमडी के मुताबिक अगर कफ सिरप पीने से चक्कर, सिर दर्द, बेचैनी, मतिभ्रम, सोने में दिक्कत जैसी शिकायतें हों, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

अगर कफ सिरप पीने के दौरान मूड में बदलाव हो रहा है, मतिभ्रम की स्थिति बन रही है, सोचने में ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत हो रही है, हाथ-पैर हिलने लगे हैं और कमजोरी हो गई है तो डॉक्टर से संपर्क करें.
स्किन में रेशेज, खुजली या किसी तरह की एलर्जी हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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